मंगलवार, 8 दिसंबर 2009

पत्रकारिता

पत्रकारिता

माई फर्स्ट बार्न, सच्चे पत्रकार को डांटा जा सकता है, फटकारा जा सकता है, धकियाया जा सकता है, नोचा जा सकता है, खसोटा जा सकता है, पीटा जा सकता है, लेकिन बेइज्जत नहीं किया जा सकता है। जो न्यूज हाउन्ड बेइज्जती महसूस करता है, वो इस धन्धे के काबिल नहीं। वो पत्रकारिता के लायक नहीं। उसे आराम तलब नौकरी की तलाश करनी चाहिए।
वीर बालक, बालिके सच्चा पत्रकार वो है पत्रकारिता जिसका जुनून है जिसकी इबादत है जिसका इश्क है और ये इश्क नहीं आंसा बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

                    क्या है – आग का दरिया
                    कैसे जाना है – डूब के जाना है

जानेबहार, गुले गुलजार पत्रकारिता की आन बान और शान, वीरों के वीर बब्रूबाहन तेरे लिए सितारों से आगे जहां और भी है, अभी इश्क के इम्तहां और भी है।
माई फर्स्ट बार्न, सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है और पत्रकारिता मेरी कलम और जुबान में है। इसलिए मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे कि दाना खाक में मिलकर गुलेगुलजार होता है।

पत्रकारिता के कलम और जुबान का सिपाही किसी एक मुठभेड़ में हार जाने से युद्ध नहीं हार जाता है, यानि पत्रकारिता मर नहीं जाती। मेरे लाल गिरते हैं- शाहसवार ही मैदाने जंग में वो टिफ्ल क्या करेगा जो घुटनों के बल चले। इसलिए घुटनों के बल पत्रकारिता चलने से बेहतर है विरोध की पत्रकारिता हो।
पत्रकारिता के पत्रकारों का जोशोजुनून इन बातों से पस्त नहीं किया जा सकता है कि कहीं से उसे पीटकर भगाया जाए। पत्रकारिता का एक मुकद्दर यह भी है, इसलिए इससे डरना नहीं चाहिए क्योंकि डरती नहीं पत्रकारिता.............

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