मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

सत्ता, सरकार और पार्टी

सत्ता, सरकार और पार्टी

सत्ता का आजतक मानक परिभाषा नहीं है, व्याख्या के रूप में कहा जाता है कि वह अमूर्त शक्ति जिसके द्वारा शासक वर्ग राज्य पर शासन करता है, उसे सत्ता कहते हैं। उर्जा एक अमूर्त शक्ति है जैसे सूर्य में उर्जा है लेकिन सूर्य स्वंय में उर्जा नहीं है उसी प्रकार सत्ता का रूप भिन्न-भिन्न होता है। किसी देश की सेना में सत्ता निहित होती है, किसी देश की न्यायपालिका में सत्ता होती है तो कहीं मीडिया में होती है जैसे पाकिस्तान में सत्ता सेना में निहित है और भारत में अंग्रेजी प्रेस में सत्ता निहित है।

सरकार एक समूहवाचक संज्ञा है, नौकरशाही के सीढीनुमा ढांचे को सरकार कहते हैं, इसे कार्यपालिका भी कहा जाता है जैसे सेना एक समूवाचक संज्ञा है। इसमें सेनापति, मेजर, कर्नल, ब्रिगेडियर, जनरल और सैनिक होते हैं लेकिन समूचे ढांचे को सेना कहा जाता है। सेनापति, मेजर, कर्नल, ब्रिगेडियर, जनरल और कोई भी सैनिक स्वंय में सेना नहीं है लेकिन सब मिलाकर सेना कहलाता है। कोई भी मुख्य सचिव, कलेक्टर स्वंय में सरकार नहीं है, बल्कि सरकार के अंग हैं। 

पार्टी लोकतांत्रिक ढांचा में सरकार के कार्य की जानकारी एवं सलाह देने के जनता के प्रतिनिधि की आवश्यकता होती है। यद्दपि सरकार के कार्य गुप्त होतें हैं, इसलिए नौकरशाह को सलाह देना भी गुप्त होता है। इसलिए अंग्रेजों ने गोपनियता का कानून बनाया। गोपनियता को भंग करना भयानक अपराध की श्रेणी में आता है इसलिए मंत्री का अर्थ होता है- गुप्त मंत्रणा करने वाला।

अत: जनप्रतिनिधि सिर्फ सलाह देता है, यह आवश्यक नहीं है कि हर सलाह को मान लिया जाए। जिस सलाह को मान लिया जाता है उसे ही मंत्री के द्वारा जनता के समक्ष लाया जाता है क्योंकि नौकरशाह के द्वारा मीडिया में बयान नहीं दिया जाता है, इस कारण जन  आक्रोश नौकरशाह के प्रति नहीं बल्कि मंत्री के प्रति होता है। इसलिए सलाह देने के लिए दलीय समूह का निर्माण होता है कि कौन सा समूह जनता का विश्वास प्राप्त करता है। इसलिए दलीय समूह चुनाव के वक्त लुभावने मुद्दे रखते हैं, जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिए जो शायद ही कभी मूर्त रूप ले पाता है। इसलिए नौकरशाह स्वंय गुप्त रूप से अपनी इच्छानुसार सलाह रखने के लिए अघोषित रूप से दलीय सलाहकार मंडली में हिस्सा लेते हैं और पूंजीवादी मीडिया के साथ मिलकर प्रचारतंत्र के रूप में कार्य करते है,  किसी समूह को जिताने के लिए पूरी ताकत का इस्तेमाल करते हैं।
         
           यही सत्ता का गुण भी है।                         

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