सोमवार, 7 दिसंबर 2009

धर्म और संप्रदाय

धर्म और संप्रदाय

हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथ मनुस्मृति में मानव के दस गुणों का उल्लेख है अहिंसा, ब्रह्मचर्य, दया क्षमा, सुश्रुषा, शील, मधुर वचन, शरणागत की रक्षा करना एवं अतिथि सेवा जिसे साधारण धर्म कहा जाता है, ये मानवीय गुण प्राय: हर धर्म में पाया जाता है।

लेकिन उपरोक्त ढंग से पालन करने में कोई आदमी पहचान में नहीं आ सकता कि जूता में पॉलिस करने वाला हिन्दू धर्म का ही अनुयायी है। माता-पिता की सेवा करना और राजधर्म और कुलधर्म का पालन करने से भी पहचान नहीं बनती है, इसलिए धर्म के अनुयायी को पहचान बनाने के लिए पुरोहित ने प्रतीक का निर्माण किया किया जैसे माथे पर शिखा (टीक) रखना, जनेउ पहनना, खास मूर्ति की पूजा करना, मंदिर जाना, ये सभी हिन्दू धर्म का पालन करने वालों की पहचान है। दूसरी ओर मुसलमान की पहचान है- नवाज पढना, मस्जिद जाना। इसाई की पहचान है- क्रॉस धारण करना, गिरजाघरों में जाना। सिख की पहचान है- पगड़ी धारण करना, कटार रखना।
धर्म का मूर्त रूप संप्रदाय है और उपरोक्त सभी पहचान बनाना ही संप्रदायिकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें