देश बनाम राष्ट्र
किसी भी देश का संबध उस भूखंड से होता है जिस पर जनसमुदाय निवास करता है और उस भुखंड की सीमा रक्षा का दायित्व उस भूखंड आश्रित सामंत और किसान और किसान मजदूर का होता है। जबकि राष्ट्र का संबंध उस भूखंड पर निर्मित संस्कृत से होता है। जैसे किसी खास वस्तु का विनिमय क्षेत्र वह उस वस्तु का बाजार कहलाता है जैसे गेंहू कोयला तेल का विनिमय क्षेत्र पूरी दुनिया है, तो गेहू का बाजार कोयला का बाजार या तेल का बाजार विश्वतरीय है। उसी तरह किसी नस्ल की सांस्कृतिक इकाई का क्षेत्र जहां तक हो उस नस्ल का राष्ट्र वहां तक फैला हुआ माना जाएगा, यानि जहां तक किसी नस्ल की संस्कृति का विस्तार होता है, वह उसका राष्ट्र है। जैसे 1948 तक यहूदी का कोई देश नहीं था क्योंकि यहूदी दुनिया के देशों में फैला हुआ था। लेकिन यहूदी राष्ट्र जिंदा था, इसलिए फिलिस्तीन में यहूदी को बसाया गया था और पूरी दुनिया से छिटपुट यहूदी नें इजराइल में बसना शुरू कर दिया और अपने राष्ट्र को एक राष्ट्र राज्य में स्थापित किया।
किसी भी देश का संबध उस भूखंड से होता है जिस पर जनसमुदाय निवास करता है और उस भुखंड की सीमा रक्षा का दायित्व उस भूखंड आश्रित सामंत और किसान और किसान मजदूर का होता है। जबकि राष्ट्र का संबंध उस भूखंड पर निर्मित संस्कृत से होता है। जैसे किसी खास वस्तु का विनिमय क्षेत्र वह उस वस्तु का बाजार कहलाता है जैसे गेंहू कोयला तेल का विनिमय क्षेत्र पूरी दुनिया है, तो गेहू का बाजार कोयला का बाजार या तेल का बाजार विश्वतरीय है। उसी तरह किसी नस्ल की सांस्कृतिक इकाई का क्षेत्र जहां तक हो उस नस्ल का राष्ट्र वहां तक फैला हुआ माना जाएगा, यानि जहां तक किसी नस्ल की संस्कृति का विस्तार होता है, वह उसका राष्ट्र है। जैसे 1948 तक यहूदी का कोई देश नहीं था क्योंकि यहूदी दुनिया के देशों में फैला हुआ था। लेकिन यहूदी राष्ट्र जिंदा था, इसलिए फिलिस्तीन में यहूदी को बसाया गया था और पूरी दुनिया से छिटपुट यहूदी नें इजराइल में बसना शुरू कर दिया और अपने राष्ट्र को एक राष्ट्र राज्य में स्थापित किया।