त्रिगुट बैठक चौकन्ना अमेरिका
त्रिगुट देश जिसमें शामिल हैं चीन, रूस, भारत। इन तीन देशों के विदेश मंत्रियों की जब भी बैठक होती है, तब अमेरिका चौकन्ना हो जाता है कि कहीं अंतराष्ट्रीय राजनीति में ये त्रिगुट देश कहीं अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती तो नहीं देने वाले हैं । हाल में जब ब्राजील, रूस, भारत,चीन की बैठक रूस के येरिकेटिनबर्ग में हुई थी तब अमेरिका विशेष रूप से चौकन्ना हुआ था। इस बैठक में रूस और चाइना ने इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया था कि डॉलर के मुकाबले एक नयी मुद्रा का विकल्प अंतराष्ट्रीय राजनीति होना चाहिए।
वर्तमान समय में डॉलर का वजूद इतना मजबूत है कि इसके लिए एक युद्ध भी हो चुका है। कहा जाता है अमेरिका ने ईराक पर हमला इसलिए किया था कि सद्दाम हुसैन अपना सारा तेल का कारोबार डॉलर को छोड़कर दूसरी मुद्रा में अपनाने की सोच रहे थे जो कि अमेरिकी साम्राज्यवाद को कबूल नहीं था। कबूल इसलिए नहीं था कि अगर एक देश तेल का कारोबार डॉलर को छोड़कर दूसरी मुद्रा में करता तो हो सकता था कि आगे आने वाले समय में ओपेक का पूरा कारोबार ही दूसरी मुद्रा हो सकने की संभावना थी और हो सकता था कि इससे अमेरिकी डॉलर को ही पूरे अंतराष्ट्रीय राजनीति में चुनौती मिलने लगती।
ऐसे समय में जब यूरोपीय देश एक नयी मुद्रा यूरो को 1999 में अपना चुका है। खाड़ी देश भी एक नयी मुद्रा अपनाने की सोच रहा है तो भारत को भी चीन और रूस के साथ एक नयी मुद्रा का विकल्प डॉलर के मुकाबले खोजना चाहिए। एक नयी मुद्रा का विकल्प डॉलर के मुकाबले खोजना चाहिए, इससे भले ही अमेरिकी डॉलर को अंतराष्ट्रीय राजनीति में चुनौती मिले या अमेरिका चौकन्ना हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें