गुरुवार, 26 नवंबर 2009

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार

सत्ता और संपत्ति के बीच के बीच हुआ समझौता भ्रष्टचार कहलाता है। कोई कंपनी किसी नौकरशाह को इसलिए घुस देता है क्योंकि नौकरशाह के पास सत्ता (शक्ति, पावर) है, नहीं तो कोई कंपनी किसी को क्यों संपत्ति हस्तांतरण करेगा और यदि किसी के पास संपत्ति ही नहीं हो तो घूस का प्रश्न भी नहीं उठता है। इसमें दोंनों एक दूसरे को लाभ पहुंचाता है। घूस के कारण नौकरशाह अनैतिक कार्य (अधिकार से बाहर) भी करता है जैसे किसी सार्वजनिक क्षेत्र को जब निजीकरण किया जाता है उसमें दोंनों आपस में 50-50 का अंशदान प्राप्त करता है। सौ करोड़ की संपत्ति जब किसी कंपनी को बेचा जाता है तो उसका मूल्य मात्र 20 लाख का मूल्यांकन किया जाता है और शेष दोंनों के बीच बंटवारा हो जाता है, इसी प्रकार हर सौदे में यही प्रक्रिया चलती है।
       
सब्सिडी अभी तक इसलिए चालू है क्योंकि कंपनी और नौकरशाह के बीच भ्रष्टाचार का रिश्ता है जैसे जनवितरण प्रणाली में ही 40 प्रतिशत फर्जी कार्ड है और इस फर्जी कार्ड को दिखाकर सब्सिडी के बढे हुए हिस्से का बंटवारा होता है।

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