सारे मीडिया में पूरे देश में विकास की ही चर्चा होती रहती है कि देश विकास कर रहा है, विकास के रास्ते पर अग्रसर है। फिर भी मानव सूचकांक में देश पहले 182 देशों में से 126वें स्थान पर फिर 128वें स्थान पर, और अब 134वें स्थान पर है तो फिर विकास किसका हुआ।
दूसरी ओर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 20 रूपये पर जीवन जीने की संख्या पहले 80 करोड़ था, फिर 84 करोड़ हुआ, अब 93 करोड़ हो गया है, फिर भी मीडिया में विकास की चर्चा होती है। विनाश की क्यों नहीं ? ऐसे में विकास किस देश का हो रहा है और विनाश किस देश का ?
बुधवार, 30 दिसंबर 2009
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क्या गुस्सा निकालना ही विकल्प है इस समस्या का। भाई
जवाब देंहटाएंvikash un logon ka hua jo janta ke ghar jakar khana to khatain hain per us khane ka jugar kis tarah hua ise janne ki jurrat tak nahi kertain.
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
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