किसकी और कैसी विदेश नीति
आजादी के समय 1947 में विश्व दो समुह में बंटा था एक का अगुवा रूस था और दूसरे का अमेरिका। रूस प्रगतिशील राष्ट्र और आजादी का जंग लड़ने वाले देश को रूस सहायता करता था। वे सभी देश रुस के समुह में थे और तमाम पूंजीवादी देश अमेरिका के पक्ष में गोलबंद था। एक साम्यवाद का समर्थक माना जाता था, दूसरे को पूंजीवाद का।
इसलिए उस समय बिना युद्ध के ही मानसिक युद्ध जारी था जिसे कोल्डवार शीतयुद्ध कहा जाता था भारत इन दोनों समुहों से अपने को अलग रखा जिसे तटस्थता की नीति कहते हैं भारत अभी तक तटस्था की नीति पर ही चल रहा था लेकिन सोवियत रूस के विघटन होने के बाद अमेरिका एकमात्र शक्ति का केन्द्र बन गया और भारत धीरे-धीरे अमेरिका के पक्ष में अधीन होता चला गया।
पाकिस्तान शुरू से ही अमेरिका के पक्ष में था इसलिए अमेरिका हमेशा पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा और कश्मीर के बहाने दोनों के बीच में भारत पर दबाव की राजनीति के तहत काम करता रहा है। भारत अमेरिका परमाणु समझौता इसी का नतीजा है । और दिन-प्रतिदिन अमेरिका के गिरफ्त में जा रहा है अभी चूंकि चीन ताकतवर देश के रूप में उभरा है। इसलिए अमेरिका साम्यवादी चीन के मुकाबले भारत को इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है।
बुधवार, 10 मार्च 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरो नाम केभिन एडम्स, बंधक ऋण उधारो एडम्स तिर्ने कम्पनी को एक प्रतिनिधि, म 2% ब्याज मा ऋण दिनेछ छ। हामी विभिन्न को सबै प्रकार को 2% ब्याज मा ऋण प्रदान प्रदान। हामी ऋण को सबै प्रकार प्रदान। यदि तपाईं सम्पर्क अब यो इमेल एक ऋण आवश्यक
जवाब देंहटाएंadams.credi@gmail.com: